
K.D.
अपनी नई नई करतूत को लेकर सुर्खियों बंटोर रहे ‘सर जी’ ने अपने महीने के टॉरगेट में अब इजाफा कर दिया है। चाहे चौकी प्रभारी हो या फिर चेतक दौड़ा रहा जवान हो, या फिर तीन सितारा साहब हो, कोई भी नए कर से अछूता नहीं रहा है। यदि कोई पूछने का हिमाकत कर भी देता तो वे तपाक से बोलते है कि, उन पर कई तरह का बोझ है, लिहाजा सवाल जवाब करने की आवश्यकता नहीं है। वरना, दिक्कत में पड़ जाओगे। हर थक हार कर सभी सर जी की डिमांड पूरी करने में शिददत से जुटे है, आखिर नौकरी का सवाल है।
दिन हो या रात, सुबह हो या शाम। हर वक्त सरजी के जेहन में पैसा, पैसा और सिर्फ पैसा ही धुमड़ता रहता है। उन्हें ड्यूटी से कोई मतलब नहीं। साहब का असली चरित्र ही यही है। जी हां उनकी सुबह ही माया को लेकर होती है और दिन भी उसी के साथ ढलता है। हरे हरे नोट देखकर उनकी आंखों की चमक कई गुना बढ़ जाती है। अधीनस्थों से कर कैसे वसूलना है, इसके लिए वे नए—नए आइडिया इजाद करते है।
हरी हरी पत्तियों के अलावा महंगे महंगे हर तरह के प्रोडेक्ट की उनकी डिमांड से अधीनस्थ भी अपना सिर खुजा रहे है पर जुबां बंद है। महंगी शराब भी साहब खूब बंटोरते है, पर किसके लिए यह बड़ा सवाल है। क्योंकि सरजी शराब का सेवन नहीं करते है। सरजी की दूसरी खासियत यह है कि उन्हें नेता मंडली की चमचागिरि में महारथ हासिल है। उसी की बदौलत ही सरजी की गाड़ी का पहिया घूम रहा है। कौन नेता कितना रसूखदार है, यह जानते ही सरजी तुरंत ही उसके आगे पीछे लेट लेटकर अपने नंबर बना ही लेते है। पर, इन सब के बीच अधीनस्थ कोल्हू के बैल तक पीस रहे हैं और सरजी की डिमांड उनके सिरमाथे है।