स्वामी गुट का एक सितारा टूट कर त्रिवेंद्र गुट के पाले में आ गिरा, पलटू नेता पर अब चल रहा चाबुक

K.D.

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद बीजेपी की सियासत नित नई करवट ले रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के करीबी कहे जाने वाले पूर्व काबीना मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के खासमखास एक जिला पंचायत सदस्य ने भी नएनवेले सांसद का दामन थाम लिया है. इस चर्चा ने भाजपा की स्थानीय राजनीति में भूचाल लाकर रख दिया है।

कहा यहां तक जा रहा है कि एक मौजूदा भाजपा विधायक ने जिला पंचायत सदस्य की त्रिवेंद्र दरबार में हाजिरी लगाने में मुख्य भूमिका अदा की है, जिपं सदस्य के पलटी मार लेने के पीछे उसका प्रॉपर्टी डीलिंग का विस्तृत अंपायर का फैला होना बताया जा रहा है। सीएम धामी के करीबी पूर्व काबीना मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद का गुट ही अभी तक जिले की नब्ज़ पर मजबूत पकड बनाए हुए है। पूर्व सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का गुट भी जिले में पूरी तरह से सक्रिय रहा है लेकिन उनका आमना सामना कभी नहीं हुआ। जिला पंचायत की कुर्सियों पर दोनों गुटों ने समन्वय बनाकर कब्जा कर लिया, अपने अपने करीबीयों को पदों से नवाजा। खैर अब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने से लेकर विजय पताका फहराने के साथ ही हरिद्वार में भाजपा की सियासत में नए घटनाक्रम घट रहे है।

सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत बैठको से लेकर खुलेआम अलग अलग मुददों को लेकर व्यंग बाण दाग ही रहे है, यही नहीं हाशिए पर रहे भाजपाई अब उनकी छतरी के नीचे आकर खुद को महफूज समझ रहे है। उसी का ही असर है कि अन्य गुटों से जुड़े रहे वे चेहरे भी त्रिवेंद्र सिंह रावत से नजदीकी बढ़ा रहे हैं, जिन्होंने अपने कारोबार बड़े स्तर पर फैलाए हुए है। उन्हीं में से एक जिला पंचायत सदस्य ने भी पलटी मार ली है, क्योंकि उसका अवैध कालोनियों की बसावट का लंबा चौडा कारोबार है। यह बात जिले में भाजपा में पूरी तरह से चर्चा का केंद्र बनी हुई है। नाम न छापने की शर्त पर त्रिवेंद्र गुट के एक नेता ने यहाँ तक कहा कि अभी कई अन्य चेहरे भी उनके संपर्क में है, जो फिलहाल दूसरों गुटों की शोभा बढ़ा रहे थे। वे केवल अपनी स्वार्थ साधने में माहिर है।

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