
K.D.
गंगा की मुख्य धारा में रीवर ड्रेजिंग को लेकर पर्यावरण के लिए संघर्षरत संस्था मातृ सदन संस्था के बवाल खड़ा कर देने के बाद जिला प्रशासन ने भी अपना पक्ष रखा है। जिला प्रशासन ने रीवर ड्रेजिंग को जनहित में बताते हुए उसके चलते होने वाले नुकसान पर प्रकाश डाला है।
एसडीएम अजयवीर सिंह और जिला खनन अधिकारी कासिम रजा ने प्रेस को दिए बयान में बताया कि रीवर ड्रेजिंग का कार्य रीवर ड्रेजिंग नीति 2021 के तहत किया जा रहा है। बताया कि इसका मकसद गंगा समेत अन्य नदियों के प्रवाह को सुचारू बनाना है। ऐसा न होन से कटाव के साथ साथ बाढ़ से होने वाला नुकसान काफी हद तक कम हो जाता है। बताया कि इस कार्य में सिल्ट हटाकर नदियों की धारा को सही किया जाता है।
निकाले गए उप खनिज का इस्तेमाल आमजन के लिए हितकारी राजमार्ग योजना में होता है। आधुनिक मशीनों से इस कार्य को करने के साथ पर्यावरण संतुलन लेकर बेहद सावधानी बरती जाती है। बताया कि गंगा नदी को चैनलाइज करने की दृष्टिया से यह कार्य किया जा रहा है, जिससे की आगामी मानसून सत्र में बाढ़ से बचा जा सकें।
बकौल एसडीएम कि पिछले वर्ष गंगा नदी में बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण काफी नुकसान हुआ। शंकराचार्य चौक, गुरुकुल कांगड़ी, चंद्राचार्य चौक में जलभराव भी उसी काही नतीजा है। लक्सर के शेरपुर बेला, दल्लावाला, चंद्रपुरी खादर, जोगा वाला में भी हुए जलभराव ने कहर बरपाया। बताया कि आपदा ने पांच जिंदगियां लील ली, उसके साथ करीब 250 घर क्षतिग्रस्त हुए। जिले के 111 गांवों के 3894 परिवार प्रभावित हुए। 28 करोड़ की फसल बर्बाद हुई। ऐसे में राहत बचाव के लिए पांच राहत केंद्र बनाते हुए 42 टीमें लगाई गई। 245 लाख रुपये क्षतिग्रस्त संपत्तियों हेतु आवंटित किए गए। उसके साथ साथ खाद्य एवं राहत सामग्री वितरित करते हुए 322 परिवारों को 10 लाख रुपये से अधिक की सहायता दी गई। जिले की 48 सड़कें चपेट में आई।
क्यूनेट खुदान और सिल्ट प्रबंधन
प्रतिवर्ष गंगा में आने वाली बाढ़ से जमा होने वाले सिल्ट को हटाने के लिए श्यामपुर कांगड़ी और लक्सर सहित कई क्षेत्रों में क्यूनेट खुदान कर गंगा की धारा को सीधा करने के लिए सिंचाई विभाग को लाखों रुपये की धनराशि आवंटित की जाती है। एक तरफ जहां क्यूनेट खुदाई के लिए विभागों को धनराशि दी जाती है, वहीं रिवर ड्रेजिंग के तहत क्यूनेट खुदान कर गंगा की धारा को चैनलाइज किया जाता है। इससे न केवल गंगा का प्रवाह बेहतर होता है, बल्कि शासन को राजस्व की प्राप्ति होती है और राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में उप खनिजों की आपूर्ति भी सुनिश्चित होती है।
अवैध खनन पर की गई कार्रवाई
अवैध खनन के खिलाफ शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 तक सख्त कार्रवाई की गई। इसके साथ साथ 138 स्टोन क्रेशरों पर 10 करोड़ 2000 रुपये का अर्थदंड लगाया गया। अवैध खनन कर्ताओं और भंडारकर्ताओं पर 161 प्रकरणों में 14 करोड़ 1342000 रुपये का अर्थदंड लगाया गया। 276 वाहनों से कुल 92 लाख रुपये का अर्थदंड वसूला गया।