
जनघोष ब्यूरो
हरिद्वार: कुंभ बनाम अर्द्धकुंभ को लेकर संतों के बीच छिड़ी रार थमने का नाम नहीं ले रही है। अर्द्धकुंभ में स्नान की तिथियों की घोषणा के एकाएक अखिल भारतीय आश्रम परिषद के वजूद में आने पर जूना अखाड़े से दो संतों को निष्कासित करने का मामला तूल पकड़ सकता है।
इधर जूना अखाड़े ने एक संत को अखाड़े से निष्कासित करने के बाद पड़ोसी जिले बिजनौर में 2009 में एक युवक की हत्या में नामजद होने की बात सामने रखी है। चर्चा ये है कि संतों के बीच उपजे विवाद के पीछे सत्तारूढ़ पार्टी के दो शीर्ष धड़े आमने सामने है, जिसका परिणाम दिलचस्प होना तय है। राज्य की धामी सरकार अर्द्धकुंभ को दिव्य भव्य कुंभ की तर्ज पर सम्पन्न कराने की तैयारी कर चुकी है।
चूंकि 13 अखाड़ों के बिना अर्द्धकुंभ को कुंभ का रूप दिया नहीं जा सकता था लिहाजा पिछले दिनों सीएम धामी की मौजूदगी में 13 अखाड़ों के साधु संतों ने स्नान की तिथियां घोषित कर दी थी। ऐसे में अर्द्धकुंभ को कुंभ का दर्जा देने के विरोधी स्वर पर विराम लगने की उम्मीद जगी थी।
इसी बीच संतों के एक धड़े ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की तर्ज पर अखिल भारतीय आश्रम परिषद का गठन कर फिर नए विवाद को हवा दे दी थी। जूना अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी और प्रबोधाननंद गिरि के परिषद का गठन करने से खिन्न जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया था।

संतों के बीच शह मात की जंग के बीच अब जूना अखाड़े ने वर्ष 2009 में बिजनौरके नगीना में एक युवक की हत्या में प्रबोधानंद के नामजद होने की एफआईआर वायरल कर संत जगत में सनसनी मचा दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि अर्द्धकुंभ को कुंभ का दर्जा देने की वकालत कर रहे संतो के खिलाफ विरोध तेज हो सकता हैं।

संतो के बीच चल रहे अर्द्ध कुंभ बनाम कुंभ के विवाद के पीछे असल में भाजपा के ही दो बड़े क्षत्रप एक दूसरे को पटखनी देने में जुटे हुए हैं। उत्तराखंड ही नहीं दिल्ली में बैठे शीर्ष भाजपा नेता भी संतो के माध्यम से एक दूसरे पर बाण छोड़ने में जुटे हैं हालांकि इन सब के बीच एक बात स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है कि अर्द्ध कुंभ को कुंभ का स्वरूप देने को लेकर कहीं ना कहीं संत समाज एकजुट नहीं है।

यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है कि संतों के बीच चल रहा है यह विवाद क्या रुप लेगा लेकिन भगवाधारियों ने एक दूसरे के दामन पर कीचड़ उछालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। एक बड़ी बात यह भी है संत यतींद्रानंद गिरी भी बीजेपी से जुड़े है और हरिद्वार लोकसभा सीट से किस्मत भी आजमा चुके है, उनका कुंभ को लेकर सवाल खड़ा भी एक सोची समझी रणनीति का अहम हिस्सा ही माना जा रहा है।









