
K.D.
बेहद दिलचस्प मुकाबले के बीच भले ही कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुउददीन ने किला फतेह कर लिया हो लेकिन मुस्लिम बाहुल्य वाली मंगलौर विधानसभा सीट पर भाजपा का प्रदर्शन भी हैरान कर देने रहा। जाहिर है कि भाजपा ने बेहद ही सधी हुई रणनीति से चुनाव लड़ा जिसका अप्रत्याशित परिणाम सामने भी है। पर, अंत में आखिरकार मामूली अंतर जीत हाथ से फिसल ही गई। आगामी विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव खतरे की घंटी सरीखा रहा है, वहीं तीसरे नंबर पर खिसक गई बसपा ने अपनी जमीन मंगलौर विधानसभा क्षेत्र में में लगभग खो ही दी है। यह बसपा के लिए चिंतन मनन का समय भी है।
भाजपा ने बनाया इतिहास
हरिद्वार, राज्य गठन के बाद से मंगलौर विधानसभा सीट भाजपा के लिए मुफीद कभी नहीं रही है। कांग्रेस के काजी निजामुउददीन और बसपा के सरबत करीब अंसारी बारी बारी से चुनाव जीतते रहे हैं। यहां हमेशा से मुकाबला हाजी और काजी के बीच ही रहा है। वर्ष 2022 में मामूली अंतर से काजी को हाजी ने शिकस्त दे दी थी, फिर हाजी के देहांत के बाद सीट खाली हुई, तब इस दफा भाजपा ने आयतित प्रत्याशी उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया। हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले बेहद धनाढ्य प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना ने बेतहर चुनाव लड़ा, यह उन्हें मिले वोट से साफ हो जाता है। खैर, फिर से एक बार बाजी काजी ने ही मार ली।
रामपुर की तर्ज पर भाजपा ने अपनाई ताकत
हरिद्वार, सूबे की सत्ता पर काबिज भाजपा ने मंगलौर उपचुनाव को यूपी की रामपुर विधानसभा सीट पर मिली जीत की तर्जपर लड़ा। यह बात जगजाहिर है। सूबे के सीएम से लेकर भाजपा के तमाम बड़े दिग्गज मंगलौर में डेरा डाले रहे। यही नहीं शहरी क्षेत्र के पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं को भी बूथ स्तर की जिम्मेदारी सौंपी गई। पूरी कोशिश थी कि मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर किसी भी तरह से कलम खिलाना है। पुरजोर कोशिश हुई, अंत में कमल खिल नहीं सका।
काजी का रोना काम आया
हरिद्वार, मंगलौर उपचुनाव में हिंसा भी हुई। कांग्रेस प्रत्याशी काजी फफक फफक कर रो भी पड़े थे, जिसकी वीडियो जमकर सोशल मीडिया पर वॉयरल हुई थी। जानकार बताते है कि काजी का रोना भी उनकी जीत का मार्ग प्रशस्त कर गया. अंदरखाने अंसारी बिरादरी का कुछ वोट बैंक काजी की तरफ शिफ्ट हुआ, जो कभी आज तक नहीं हुआ था। क्योंकि दिवंगत सरबत करीम अंसारी की बिरादरी के वोट बैक पर बेहतर पकड़ थी, पर उनका पुत्र इस पकड़ को बरकरार नहीं रख सका। जिसका परिणाम कांग्रेस की जीत के तौर पर सामने आया है।