हरिद्वार भाजपा: नेताओं के हाथ मिले दिलों में दरार, ये कैसा मोदी परिवार

K.D.

भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत का चुनाव प्रचार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। इसकी वजह पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और मौजूदा सत्तारुढ़ दल के खेमे के बीच पूर्व से चली आ रही अदावत बताई जा रही है इसलिए अंदरखाने उनके चुनावी रथ से कई बड़े खेमे पूरी तरह से दूरी बनाए हुए है। हां, जब जब शीर्ष नेताओं की आमद होती है तब दिखावा बेहतर ढंग से बखूबी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाती है। कुल मिलाकर हाथ जरुर मिल गए है, पर चुनावी बयार में दिलों में दूरियां पूरी तरह से बरकरार है।

विभीषणों के चिन्हितकरण की एक्सरसाइज तेज

पूरी तरह से फ्लॉप रहे त्रिदेव सम्मेलन के बाद भाजपा अंदरखाने विभीषणों को चिन्हित करने में जुट गई है। चुनाव से बाहर दिखाई दे रहे कई चेहरे जगजाहिर है, पर उनकी करतूतों की कुंडली तैयारी की जा रही है, जिससे की शीर्ष नेतृत्व को हकीकत से अवगत कराया जा सकें। बता दें कि ऋषिकुल मैदान में हुए त्रिदेव सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा पहुंचे थे लेकिन सम्मेलन में कार्यकर्ताओं की भीड़ ही आयोजक जुटा नहीं सके थे। इस मौके पर भाजपा की अंदरुनी गुटबाजी सतह पर आ गई थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा भी पूरी तरह से खफा बताए जा रहे हैं।

दूल्हा बने मदन, बाकी गायब
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के प्रत्याशी घोषित होते ही उनकी चुनावी कमान  नगर विधायक मदन कौशिक ने संभाल ली थी। विधायक की टीम चुनावी मौसम में पूरी तरह से रंगी हुई नजर आ रही है। विधायक खेमे के अलावा  अलावा अन्य खेमे महज औपचारिकताएं  निभाने में जुटे हुए है। यह चर्चा भाजपा में ही चल रही है। चूंकि मदन कौशिक भी हाशिए पर ही है, इसलिए उन्हें त्रिवेंद्र के यहां आने से निकट भविष्य में अपनी ताकत में इजाफा होता हुआ दिखाई दे रहा है।

रुड़की के नेता जी-फ्री का चंदन, घिस मेरे नंदन

रुड़की के एक भाजपा नेता भी इस समय पूरी तरह से चर्चा में है। चर्चा हैकि एक चुनाव में धूल चाट चुके नेताजी फिर से नगर निगम के चुनाव में मेयर पद पर किस्मत आजमाना चाहते है। आजकल उन्हें   मीडिया से मेलजोल का दायित्व मिला है। पर नेताजी स्थानीय मीडिया के अलावा लोकसभा क्षेत्र के अन्य मीडियाकर्मियों से दूरी बनाए हुए है। दरअसल, वे लोकसभा चुनाव के बहाने मीडिया को अपने भविष्य के लिहाज से सेट करने में जुटे हुए है। उनकी कार्यशैली इस समय फ्री का चंदन, घिस मेरे नंदन की कहावत पर फिट बैठ रही है।

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