
जनघोष-ब्यूरो:-
उत्तराखंड: सूबे के एक बड़े जिले में छोटे सिंहासन पर आसीन होते ही चुनमुन से दिखने वाले एक साहब का अब असली चेहरा सामने आया है, साहब को भी नमस्ते में खासी दिलचस्पी है, लिहाजा उन्होंने उसके लिए शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, पर साहब शिकंजा गलत तरीके से कस रहे है, सो उनके मातहत भी अंदरखाने उन्हीं के खिलाफ ही भुनभुना रहे है।

आखिर सवाल नमस्ते का जो है। अब सड़क के राजा बने साहब को कौन समझाएं इसलिए सब अपना सिर खुजा रहे है। दरअसल साहब बड़ी परीक्षा पास कर आए है, लंबी नौकरी है.बड़े पद तक पहुंचेंगे, ये बात अलग है.पर साहब की जीभ को भी चस्का लग गया है, साहब भोले है,ये कसीदे अभी तक महकमा पढ़ता था।

एकाएक ही साहब का प्रमोशन हुआ, उसी जिले में कुर्सी मिल गई, बस साहब ने भी पूरी सड़क की गुणा गणित चुटकियों में समझ ली, जुट गए काम पर, भय बीन प्रीत नहीं होती है।
बस साहब ने पहिए थामने शुरू कर दिए, पहिए थमे तो हलचल हुई, सब दौड़े, पर साहब को पैकेज पसंद है,पर ये संभव नहीं। सारे मोती एक माला में कौन पिरोए..?

साहब को समझाया.अजी माने ही नहीं, बोले चालान नहीं भेजूंगा, कोर्ट में कई दिन, अब क्लाइंट परेशान है सवाल धंधे का है.इधर भोले भंडारी साहब की मासूमियत जी का जंजाल मातहत से लेकर सभी के लिए बन गई है। देखना दिलचस्प होगा कि साहब के दिमाग के दरवाजे आखिर कौन खोल पाता है।