
हरिद्वार, KD
रस्सी जल गई, मगर बल नहीं गए। हर कहावत के पीछे एक बड़ा अर्थ छिपा होता है, यह कहावत फिलवक्त हरिद्वार की राजनीति पर एक दम फिट बैठ रही है। भाजपा के एक विधायक जी के समर्थक आजकल अपना दर्द यह कहकर हल्का कर रहे है कि, उनके बॉस मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी से राजनीति में बेहद सीनियर है, लिहाजा कैबिनेट मंत्री की कुर्सी पर उनके बॉस की निगाहें कतई नहीं है। वे लोकसभा टिकट की दौड़ में सबसे आगे है और टिकट मिलने के बाद फतेह हासिल कर दिल्ली पहुंचेंगे। उसके बाद केंद्रीय मंत्री की कुर्सी पर काबिज होंगे।
पहले उगलते थे आग, अब पानी भी मयस्सर नहीं
दरअसल विधायक जी कैबिनेट मंत्री की कुर्सी का स्वाद कई बार चख चुके है और उनके समर्थक तब जिले में मुंह से आग उगलते थे, पर मौजूदा समय में समर्थक छिपे छिपे घूम रहे है। चाहे पुलिस हो या प्रशासनिक अफसर हो, वे हर किसी को अपने सामने अदना समझते थे। उसकी वजह उनके बॉस यानि विधायक जी की कैबिनेट मंत्री की कुर्सी थी। कभी भी किसी थाने कोतवाली में ठसक हनक से एंट्री लेने वाले समर्थक अब थाने कोतवाली की तरफ झांकने से ही परहेज कर रहे है।
विधायकी गई, पर भुजाओं की ताकत बढ़ी, मौजूदा विधायक की हालत पतली
विधायक जी की भुजाओं की ताकत क्षीण होने के बाद सारी ताकत दो पूर्व विधायक की भुजाओं में समाहित हो गई है। भले ही वे दोनों हार गए हो लेकिन सत्ता में उनकी पकड़ जगजाहिरहै। एक पूर्व विधायक जरायम पेशेवरों से लेकर छुटभैय्यों के सरदार के तौर पर अपनी पहचान बना रहे है, जो जरायम पेशेवर-छुटभैय्ये कभी मौजूदा विधायक की गैंग का अहम हिस्सा होते थे। दूसरे पूर्व विधायक खुद को चुनमुन की तरह पेश करते है, पर कई बड़े खेल पूर्व विधायक बखूबी खेल रहे है। वह पर्दे के पीछे रहकर हर खेल को खेलने में जुटा हुआ है और दरबार में अफसर भी मत्था टेक रहे है।