
जनघोष-ब्यूरो
हरिद्वार: नगर निगम के भूमि खरीद घोटाले के बाद अब दीपोत्सव कार्यक्रम का जिन्न भी बाहर आ गया है। 70.36 में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम के बिल भुगतान पर नगर आयुक्त नंदन कुमार ने रोक लगा दी है।

इस बिल में बड़े खेल की बू आ रही है, एक चर्चित बाबू साहब की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। जांच अगर सही दिशा में हुई तो बाबू साहब का चेहरा बेनकाब होना तय है। भूमि खरीद घोटाले में निलंबित हुए तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल पर जांच बैठा दी गई है।

11 नवंबर 2024 को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सिटी में नगर निगम की तरफ से 80 गंगा घाटों में पर 2.50 लाख मिट्टी के दीपक जलाने का दावा किया था। निगम ने पूरे कार्यक्रम पर 70.36 लाख का खर्च होने की बात कही थी। दीपक जलाने के लिए तिल का तेल 50 लाख रुपये, दीपक 15 लाख, पांच लाख रुपये की बत्ती, मोमबत्ती के लिए 30 हजार और माचिस पर 6 हजार रुपये खर्चे हुए थे।

अब तक करीब 35 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है। अब तत्कालीन आयुक्त के कार्यकाल की जांच के आदेश होने के बाद हरकत में आए नगर आयुक्त नंदन कुमार ने 35 लाख रुपये के भुगतान पर रोक लगा दी है। माना जा रहा है कि दीपक, बत्ती, माचिस, मोमबत्ती का मूल्य बाजार मूल्य से असमान छू रहा है।

चर्चा ये है कि नगर निगम पर मजबूत पकड़ रखने वाला एक बाबू ही इस कार्यक्रम की कमान संभाल रहा था और उसी की देखरेख में ही खरीददारी से लेकर बिल बनाए गए है। इस बाबू की तूती बोलती है और ये अफसरान को अपनी उंगलियों पर नचाने का दावा करता है।

इतने में खरीदा ये सामान…..
निगम ने छह रुपये का दीया, 10 रुपये की मोमबत्ती और दो रुपये की माचिस खरीदी थी जो बाजार मूल्य से अधिक है।
दीपोत्सव कार्यक्रम के बिल का आधा भुगतान हो चुका था। अब 35 लाख रुपये के भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
नंदन कुमार, नगर आयुक्त नगर निगम