
K.D.
हरिद्वार बेशकीमती मेला भूमि की खरीद फरोख्त को लेकर उपजे विवाद के बाद यक्ष प्रश्न यह आ खड़ा हुआ कि अगर ऐसे ही कुंभ मेला भूमि बेच दी जाएगी, फिर भविष्य में कुंभ मेला कैसे सम्पन्न होगा। दूधाधारी तिराहे से सटी 56 बीघा भूमि पर कुंभ-अर्द्धकुंभ, कांवड़ मेले में बस स्टैंड से लेकर अस्थाई पुलिस थाना वजूद में आते है। भूमि को बेच दिए जाने के बाद यह व्यवस्थाएं कहां सम्पन्न होगी, क्या मेला प्रशासन ने इसका रास्ता खोज दिया है।
अगर मेला भूमि का कोई विकल्प तलाश कर लिया तो इस हाईप्रोफाइल प्रकरण पर अपना रुख स्पष्ट करने की आवश्यकता है। ऐसे में तो अन्य मेला भूमि के स्वामी भी अपनी भूमि को बेचने की जुगत में जुट जाएंगे। पिछले कुछ दिन से दूधाधारी चौक से सटी 56 बीघा मेला भूमि चर्चाओं में है। भूमि का स्वामित्व पूर्व पालिकाध्यक्ष स्वर्गीय पारस कुमार जैन के पुत्र भाजपा नेता तोष जैन, उनकी पत्नी मोनिका जैन के नाम है।
कुछदिन पूर्व अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता कर दंपति पर बेशकीमती संपत्ति को अवैध रूप से बेचने के आरोप जड़े थे। आरोप था कि खसरा नंबर 4/28 व 4/ 27 केा लेकर कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है, ऐसे में दंपति ने भूमि का सौदा कर दिया है। आरोप है कि जमीन को लेकर 2010 के मुकदमे में 2011 को उनके पक्ष अरुण कुमार और मोनिका जैन के बीच हुए राजीनाम में भूमि का बंटवारा कर लिया था। पर, बाद में दंपति की नीयत मेंखोट आ गया, तब उसने एक वाद कोर्ट में दाखिल कर दिया।
आरोप था कि भूमि को लेकर कई केस विचाराधीन है, फिर भी भूमि का सौदा कर दिया है। इस पक्ष को भी अगर नजरअंदाज कर दिया जाए तो बड़ा सवाल यह हैकि कुंभ मेला भूमि को लेकर शासन ने अभी तक हरी झंडी नहीं दी है। फिर भला दंपति ने कैसे भूमि का सौदा कर दिया, उन्हें किसकी शह मिली हुईहै। इसकी जांच होनी चाहिए। अगर इस तरह कुंभ मेला भूमि हाथ से जाती रहेगी, फिर भला कुंभ मेले की व्यवस्थाएं कहां होगी। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
…तो कमजोर हो गया डीएम का नेटवर्क
हरिद्वार, हैरानी की बात यह है कि दंपति ने मेला भूमि पर चाहरदीवारी करते हुए टीनशेड खड़ी कर दी। जिलाधिकारी कर्मेद्र सिंह ही मौजूदा समय में मेलाधिकारी भी है, ऐसे में दंपति को आखिर क्यों रोका नहीं गया। ऐसे में पूरे प्रकरण के पीछे किसी बड़े खेल की बू आ रही है। छोटी छोटी शिकायतों से लेकर विभागों में छापेमारी करने वाले जिलाधिकार कर्मेद्र सिंह का नेटवर्क बेहद कमजोर हो गया, ऐसे में यही प्रतीत हो रहा है, या फिर इसकी कोई दूसरी वजह है। यह गौर करने वाली बात है।
नोट: मामले में एक पूर्व मंत्री की भूमिका भी सवालों के घेरे में।