“सीएम साहब, कब सार्वजनिक होगी रिपोर्ट, ऐसे कैसे होगे पारदर्शी गुणवत्तायुक्त कुंभ कार्य, आपने ही बोला था पारदर्शी होगे कार्य, सामने आएगी रिपोर्ट, घाटों में आई थी दरारें, आखिर अनियमितताओं पर कब चलेगा चाबुक..

जनघोष ब्यूरो
हरिद्वार:
कुंभ से पहले गंगा घाटों के निर्माण में सामने आई अनियमितताओं को लेकर सवाल लगातार उठ रहे हैं, लेकिन कार्रवाई अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी है। सबसे बड़ी बात यह है कि थर्ड पार्टी जांच की रिपोर्ट को विभाग अभी तक सार्वजनिक नहीं कर रहा है, जबकि घाटों की नींव में आई दरारें खुद बता रही हैं कि निर्माण कितनी लापरवाही और जल्दबाजी में किया गया था। स्थानीय लोग और धर्मनगरी के संत समाज इसे करोड़ों की बर्बादी और जनता के साथ धोखा बता रहे हैं।

मालूम हो कि बीते दिनों सिंचाई विभाग उत्तराखंड की ओर से डामकोठी के पास अमरापुर घाट से लेकर प्रेमनगर आश्रम पुल तक कुंभ-2027 की तैयारियों के तहत घाटों का निर्माण कराया जा रहा था। जैसे ही गंगनहर में पानी छोड़ा गया, कई घाटों की नींव में गंभीर दरारें उभर आईं। सीमेंट की परतें बह गईं और कई जगहों पर सरिया तक नजर आने लगी। यह स्थिति तब सामने आई जब निर्माण को विभाग की गुणवत्ता और समयबद्धता का दावा बताते हुए मीडिया में प्रचारित किया जा रहा था।

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं अधिकारियों को समय रहते गुणवत्ता सुनिश्चित करने और किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद सिंचाई विभाग के इंजीनियरों ने चेतावनी को हल्के में लिया और घाटों की नींव तक की मजबूती की अनदेखी कर दी। जब गंगनहर में जल छोड़ा गया तो कई जगह निर्माण की हकीकत सामने आ गई। यह देखकर मेला अधिकारी सोनिका और अपर मेला अधिकारी दयानंद सरस्वती मौके पर पहुंचे, निरीक्षण किया और तत्काल सुधार के निर्देश दिए।

इसके बाद विभाग ने थर्ड पार्टी जांच कराए जाने का आश्वासन दिया था, सैंपल भी लिए गए, लेकिन हैरत की बात है कि जांच की फाइनल रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में कई गंभीर खामियों और नियमों के उल्लंघन का उल्लेख है, लेकिन विभाग उसे जारी करने से बच रहा है। स्थानीय लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी परियोजना में इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।

कुंभ जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजन में जहां सुरक्षा और निर्माण गुणवत्ता सर्वोच्च प्राथमिकता होती है, वहां इस तरह की गड़बड़ियां न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि सरकार की छवि को भी चोट पहुंचाती हैं। जनता और संत समाज की मांग है कि थर्ड पार्टी जांच रिपोर्ट तत्काल सार्वजनिक की जाए और दोषी अधिकारियों एवं ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे लापरवाह निर्माण दोबारा न दोहराए जाएं।

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