
जनघोष-ब्यूरो
हरिद्वार: वॉटर रीसाइकलिंग की आड़ में जमकर हो रहे अवैध खनन को लेकर मचे बवाल के बाद भी जिला प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह अवैध खनन की जांच को लेकर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं।

दबी जुबा में लोग इसके पीछे कहीं वजह गिना रहे हैं। इधर खनन माफिया की तिजोरी ठसाठस भरती जा रही है। बताते हैं कि देहरादून के एक खनन किंग से सीधे खनन माफिया के तार जुड़े हुए हैं, जिस वजह से सिस्टम के हाथ पैर बेड़ियों में जकड़े होने की बात कहीं जा रही है।

पिछले करीब डेढ़ माह से दो स्टोन क्रशर को मिली वॉटर रीसाइकलिंग की आड़ में अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। क्रेशर केंपस में गहरी खाई खोदकर खनिज निकाला जा रहा है। यही नहीं क्रशरों से सटी भूमि पर भी अवैध खनन बदस्तूर जारी है।

जानकार बताते हैं कि 10 करोड़ से ऊपर का खनिज अब तक निकाला जा चुका है ऐसे में खनन माफिया की बल्ले बल्ले हो चुकी है लेकिन खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध के दावे करने वाले जिला प्रशासन की पोल खुल गई है।

पर्यावरण को लेकर आंदोलनरत संस्था मातृ सदन के अवैध खनन की तस्वीर उजागर करने के बाद भी जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह का पूरे मामले को नजर अंदाज करना सवाल खड़े कर रहा है।

ना ही खान अधिकारी कासिम रजा की नींद टूटती दिख रही है।ऐसे में खनन माफिया पूरी शिद्दत के साथ अवैध खनन को अंजाम दे रहा है।