
जनघोष-ब्यूरो
हरिद्वार: गंगा संरक्षण के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे है। नए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित अभी जिले का इतिहास भूगोल समझ भी नहीं पाए कि चंडीघाट पुल के नीचे अवैध खनन का खेल कर दिया गया।
नीलाधारा में भू कटाव रोकने की योजना की आड़ में बीते करीब पंद्रह दिनों से जेसीबी और पोकलैंड सीना चीरकर अवैध खनन करने में जुटे रहे पर जिला प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोता रहा।
हैरानी की ही बात है, अगर यही आलम रहा तो जिलाधिकारी मयूर दीक्षित को चौकसी बरतनी होगी, वरना नया आरोप लगना तय है।
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा गंगा तट पर किए जा रहे इस कार्य में खनिज सामग्री बाहर से लाने का प्रावधान है लेकिन ठेकेदार गंगा से ही रेत-बजरी निकालकर सीधे उपयोग कर रहे हैं।
यह न सिर्फ खनन नियमों का उल्लंघन है बल्कि सरकार को राजस्व की भारी हानि भी पहुंचा रहा है। गंगा में जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के संचालन से जुड़े वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

इन वीडियो के सामने आने के बाद गंगा संरक्षण को लेकर काम करने वाले संगठनों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि गंगा में इस तरह मशीनें चलाना पूरी तरह प्रतिबंधित है फिर भी यह कार्य खुलेआम किया जा रहा है।

लोगों की मांग है कि इस प्रकरण में शामिल सभी जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और आगे से ऐसे कार्यों पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाए ताकि गंगा का प्राकृतिक स्वरूप और पर्यावरण संतुलन बना रहे।

उधर मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने वायरल वीडियो का संज्ञान लिया और जिला खनन अधिकारी को मौके पर जाकर तत्काल जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा की अविरलता और निर्मलता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।