
K.D.
पिता ने वर्दी पहनकर परिवार का सिर फ्रख से ऊंचा किया था लेकिन बेटे के हिस्से में खाकी की गोली आई। यही नहीं परिवार की इच्छा भी लाडले को वर्दी में देखने की थी लेकिन जरायम की दुनिया के दलदल में फंस जाने से उनकी यह ख्वाब भी अधूरा ही रह गया। जी हां, यहां बात हरिद्वार पुलिस से हुई मुठभेड़ में ढेर हुए एक लाख के इनामी अपराधी अपराधी सतेंद्र पाल उर्फ लक्की की हो रही है। आरोपी की पारिवारिक पृष्ठभूमि सामने आने पर एक बारगी हरिद्वार पुलिस के अफसर भी सन्न रह गए।
महज ढाई साल की उम्र में रहे श्रीबालाजी ज्वेलर्स शोरूम में डाका डालने के आरोपी सतेंद्र पाल सिंह उर्फ लक्की के सिर से पिता का साया छिन गया था।
दिल्ली पुलिस में बतौर कांस्टेबल रहे पिता राजपाल की स्वभाविक मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद तीन बहनों के इकलौते भाई सतेंद्र पाल को ही मृतक आश्रित के तौर पर दिल्ली पुलिस का हिस्सा बनना था लेकिन कम उम्र में ही गलत संगत के फेर में पड़कर सतेंद्र ने नशे की राह चुन ली। नशे की लत में सतेंद्र इस कदर डूबा कि उसने जरायम पेशे को ही अपना लिया, जिससे की उसे नशे का सामान आसानी से उपलब्ध हो सकें। बस यहां से ही उसकी जिंदगी ऐसी बदली कि दिल्ली पुलिस का हिस्सा बनने से दूर होता चला गया।
जरायम पेशे से जुड़ चुके सतेंद्र को पंजाब पुलिस ने नशा तस्करी के आरोप में दबोचा, फिर जेल से जमानत पर छूटने के बाद उसने राह को बदलना ठीक नहीं समझा। एक बार फिर से नशा तस्करी में उसकी गिरफ्तारी हुई। अब उसकी संगत महज जरायम पेशेवरों से ही नहीं बल्कि छोटे छोटे अपराध को अंजाम देने वाले गैंगों से भी हुई।
इसी दौरान करीब चार साल पूर्व उसकी दोस्ती दिल्ली के शातिर अपराधी सुभाष कराटे से परवान चढ़ी, जिसके प्लॉन के तहत डकैती कांड में नंबर दो की पोजीशन संभाली। बकायदा गैंग बनाने की जिम्मेदारी को शिददत से निभाया।
आखिर में पुलिस से उलझने पर पुलिस की गोली से उसका सीधा सामना मौत से ही हुआ। पुलिस सूत्रों की माने तो आज भी उसकी मृतक आश्रित कोटे से भर्ती होने की अर्जी दिल्ली पुलिस मुख्यालय में धूल फांक रही है, जो अब हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।