
K.D.
वे कप्तान साहब हैं. ईमानदार भी वे ही इकलौते है. उनके ही सारे फैसले सही हैं. बाकी सब की नजर में खोट है. यह तस्वीर एक पहाड़ी जिले की है. जहां की बागडोर संभाल रहे पुलिस कप्तान को अपना हर अधीनस्थ भ्रष्टाचार के रंग में रंगा हुआ नजर आता है.कप्तान साहब से यदि कोई सलाम करने भी पहुंच जाए तो वे सवालों की झड़ी लगा देते हैं।
यही नहीं बाकायदा बिना वजह आने पर फटकार भी लगते हैं.बोलते हैं कि जब बुलाया जाए,तभी आना. उन्होंने कमान संभालते ही कई पुलिसकर्मी निलंबित भी कर दिए.वजह भले ही छोटी रही हो लेकिन साहब को महकमें में अपना भोपाल बनाने की सनक सी चढ़ी हुई है.
पूर्व में भी इस तरह की कई कहानियां साहब गड़ चुके है.बताते हैं कि अंदर खाने पुलिस फोर्स में विद्रोह की चिंगारी भी सुलग रही है ,जो कभी भी भड़क सकती है.बताते हैं कि साहब हर किसी का रिपोर्ट कार्ड पूछते फिरते हैं कि फलां के पास कौन सी गाड़ी है. या फिर उसका घर कहां पर है.
वह यही नहीं रुकते बल्कि लाइफस्टाइल पर भी पूरी निगाह रखते हैं. कौन अधीनस्थ किस ब्रांड के कपड़े, जूते से लेकर चश्मा पहन रहा है.साहब की इन्ही हरकतों की वजह से उनके करियर को पंख नही लग पाए और अब न ही लग पाएंगे.तेज तर्रार कप्तान की बलि ली गई तभी साहब की किस्मत खुल गई.बताते है की चुनाव के बाद फोर्स में शामिल चेहरे साहब का बोरिया बिस्तर बांध ही देगे.