चित्त हुए गुरु, मुंह छिपा रहे चेले, टिकट की रेस पीछे से गए धकेले

हरिद्वार, KD
हरिद्वार लोकसभा सीट के टिकट को लेकर चल रही रस्साकशी में पूर्वसीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाजी मार लेने पर सियासत के कई बाहुबली धूल चाट गए। पूर्व सीएम और मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के चेले दिल्ली दरबार में पूर्व सीएम की बेहतर पकड़ का दावा करते हुए टिकट रीपीट होने का ऐलान मूंछे ऐंठकर कर रहे थे तो भाजपा विधायक मदन कौशिक के कद के लिहाज से उन्हें केंद्रीय मंत्री के तौर पर फिट बताकर दिल्ली जाने का ख्वाब भी करीबी बागड़बिल्लों ने संजो रखा था। राजनीति के इन दो सूरमाओं के बीच पूर्व काबीना मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद भी यहां वहां छलांग रहे थे। उनके चंगू मंगू खुश थे, बोलते थे कि स्वामी जी के करीबी दोस्त सीएम साहब है। उनकी बदौलत टिकट मिलेगा ही मिलेगा, पर बुधवार को प्रत्याशी की घोषणा के बाद सभी की जुबां खामोश हो गई।

अजी हां, भला कौन काट सके निशंक जी का टिकट
सीएम, यूपी के जमाने के मंत्री से लेकर दो बार सांसद चुने जाने गए है, उनका टिकट भला कौन काट सकता है। हाईकमान में भी दम नहीं। इतने साल पार्टी की सेवा की है, यह बोल पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के उन करीबीयों की जुबां पर थे, जो पूरी तरह आश्वस्त थे कि उनके नेताजी के अलावा टिकट की दौड़ में सब के सब चेहरे कोसो दूर है। जो टिकट मांग रहे है, उनकी धरातल पर कोई पकड़ नहीं है। अब चेले मुंह छिपाए घूम रहे है।

बोले चेले, मदन-त्रिवेंद्र दो जिस्म एक दिमाग
अजी हां, मंत्री जी यानि पूर्व मंत्री मदन कौशिक। पांच बार विधायक यूं ही नहीं चुने गए हैं। आरएसएस के फलां बड़े नेता उनके करीबी है। दिल्ली में वे ही उनकी पैरवी में जुटे है। टिकट तो मिलना ही है। मैदान से भी ताल्लुक रखते है। 11 विधानसभा सीटें हरिद्वार जिले की है। प्रदेश अध्यक्ष भी रहे है। धामी कैबिनेट में जानबूझकर नहीं आ रहे हैं, उन्हें तो अब दिल्ली जाना है। देश की सेवा करनी है। केंद्र में मंत्री बनेंगे, यह बातें सरेआम बोलकर अपने नेता के नाम की माला जप रहे समर्थकों ने टिकट की घोषणा होने के साथ त्रिवेंद्र रावत के नाम की जय जयकार शुरू कर दी है। यह बोलकर झेप मिटा रहे है कि मदन जी-त्रिवेंद्र जी एक ही है, पार्टी सर्वोपरि है। उनका कहना है कि फलां को टिकट नहीं मिला, बस हमारी जीत को यही हो गई।

न टिकट मिला, न रही संस्था
बाबा जी का कद बड़ा है। दोस्त भी गददी पर है। टिकट मिलेगा ही। एक बड़े बाबा जी की भी दमदार पैरवी है। दिल्ली में बड़े बाबा की बात बेहद मायने रखती है। फिर अब संस्था भी सौंप दी है। यही तो सौदा हुआ था। टिकट के बदले संस्था। पर अब चेले दूर दूर तक दिखाई भी नहीं दे रहे है। खैर अपने चंगे सी।

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