
K.D.
हरिद्वार, लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है, ऐसे में भाजपा से टिकट को लेकर अंदरखाने दावेदारों के बीच महासंग्राम चल रहा है। इन सब के बीच मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दे रहे है, उन पर सभी की निगाहें भी ठिठकी हुई है। सांसद जी के समर्थक भी जोश में है। वे दबी जुबां में बोलते हैकि टिकट की दौड़ में कोई दूर दूर तक नहीं है, शत प्रतिशत टिकट उन्हीं की झोली में आएगा। पर, दूसरी तरफ टिकट के कई दावेदार निशंक के दस साल के कार्यकाल में हरिद्वार के नक्शे से विकास के गायब होने का दम भरते है।
हरिद्वार संसदीय सीट से दो बार सांसद चुने गए रमेश पोखरियाल निशंक सूबे के सीएम की कुर्सी भी संभाल चुके है और देश के शिक्षा मंत्री का दायित्व भी उन्होंने संभाला है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री के तौर पर अपने संसदीय सीट को छोड़ दीजिए, सूबे के लिए भी शिक्षा के क्षेत्र में कोई चमत्कार नहीं कर सकें। यहां तक की उनके दीदार को भी हरिद्वार लोकसभा संसदीय क्षेत्र की पब्लिक की निगाहें तरस गई थी। हां, कुर्सी गंवा देने के बाद निशंक सक्रिय हुए थे।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी निशंक पूरी तरह से समर्पित रहे। विरोधी दलों के जीत चुके प्रत्याशियों को भाजपा में शामिल कराने में आगे रहे। यही नहीं अपने करीबी को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज कराकर अपनी ताकत का अहसास भी कराया। जाहिर है कि निशंक संगठन में भी अपनी पकड़ रखते है, पर उन्हीं की पार्टी से जुड़े कई नेता लोकसभा का टिकट पाने केलिए एड़ीचोटी का जोर लगाए हुए हैं और निशंक के कार्यकाल को विकास के चश्मे से फीका बता रहे है। ऐसे में बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि क्या निशंक से फिर से टिकट पाने में कामयाब रहेंगे, या फिर उन्हें हाईकमान ने एडजस्ट करने की तैयारी कर ली है।