
हरिद्वार. KD
हरिद्वार पुलिस में आजकल दो साहब बहादुर अपने आधे अधूरे ज्ञान से लेकर बेतुके सवालों को लेकर अधीनस्थों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। अधीनस्थ उन्हें आईपीसी-सीआरपीसी के अलावा विभागीय कागजी कार्रवाई से जब जब रु-ब-रु कराने की चेष्टा करते है, साहब उन्हें झिड़क देते है। अनुभवी अधीनस्थों का ज्ञान देना उन्हें अपनी शान के खिलाफ हिमाकत करना सरीखा प्रतीत होता है, आखिर वे साहब जो ठहरे। अंत में अधीनस्थ अपना सिर पकड़कर वापस लौटने में बेहतरी समझते है।
साहब कभी प्लेट देखते तो कभी जूते
हरिद्वार पुलिस के यह दो साहब बहादुर अपनी अजीबोगरीब करतूत को लेकर खासे चर्चित है। एक साहब कभी भी किसी की भी नेम प्लेट पकड़ लेत है, फिर जूते देखने लग जाते है। यही नहीं वर्दी पर भी पूरी निगाहें घूमाते है। एक बार फायरिंग रेंज में पहुंचे साहब को देखकर पुलिसकर्मी बिना फायरिंग किए ही भाग खड़े हुए थे, यह बात चर्चा का विषय बनी थी। इसकी वजह साहब हरेक पुलिसकर्मी को पकड़ पकड़ कर बेतुके सवाल जो करने में जुटे हुए थे। साहब राह चलते किसी दोपहिया वाहन को भी थाम कर सवाल जवाब करने में जुट जाते है।
मैं तकनीक का बाहुबली, बाकी सब अदने
छोटा चेतन के नाम से पुलिस महकमे में चर्चित हो चुके साहब की फील्ड की नौकरी कम ही रही है। पर वे रॉबिन हुड की छवि बनाने में विश्वास रखते है, अपनी नॉलेज के दम पर हर किसी से सुपर बनने की दिशा में साहब तेजी से दौड़ने लगते है और दूसरे को अपने से बेहद कमतर आंकते है। वे दावा करते है कि तकनीक का ज्ञान उन्हें जितना है, उतना बड़े बड़े प्रोफेशनल इंजीनियरों को भी नहीं है। दरअसल, उस समय एक बैठक में जब हंसी के ठहाके लगे, जब साहब बहादुर ने धोखाधड़ी के प्रकरण में गिरफ्तारी न होने पर अधीनस्थों को रडार पर लेना चाहा, पर जब अधीनस्थ ने बताय कि सर धोखाधड़ी की धारा में पांच साल से कम की सजा होने के चलते गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। तब वह सकपका गए, पर चंद सेंकड में तुनक कर बोले के फिर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई करो। अब भला साहब को कौन समझाए कि गैंगस्टर के लिए कम से कम दो मुकदमे दर्ज होना जरूरी है।