
हरिद्वार, KD
19वीं लोकसभा में सूबे की पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर देश भर की निगाहें गढ़ी हुई है। उसकी वजह पौड़ी गढ़वाल सीट से भाजपा के हैवीवेट कैंडीडेट और मोदी- शाह की जोड़ी की कोर टीम के बड़े चेहरे अनिल बलूनी का प्रत्याशी होना जो है। मोदी-शाह की जोड़ी से अनिल बलूनी की निकटता की कहानी भी बेहद ही दिलचस्प बताई जाती है।
गुजरात में बढ़ी निकटता
वर्ष 1999 से लेकर वर्ष 2002 तक गुजरात के राज्यपाल रहे सुंदर सिंह भंडारी के ओएसडी की जिम्मेदारी तब अनिल बलूनी संभालते थे। पहली बार बलूनी सुंदर सिंह भंडारी के ओएसडी तब बने, जब भंडारी बिहार के राज्यपाल थे।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तब भाजपा की सक्रिय राजनीति का बड़ा चेहरा बन चुके थे और फिर गुजरात में आए भूकंप के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कुछ समय में होने वाले विधानसभा चुनाव के मददेनजर नरेंद्र मोदी को गुजरात की जिम्मेदारी सौंपी। हालांकि उस वक्त वहां भाजपा की ही सरकार थी, लेकिन भूकंप के बाद सरकार गिरने की आशंका थी, ऐसे में मोदी को गेमचेंजर के तौर पर देखकर बागडोर दी गई, तब मोदी सफल हुए। उस वक्त बलूनी भी गुजरात में थे, तो मोदी-शाह से बलूनी की नजदीकी भी होती चली गई। जिसका परिणाम आज सभी के सामने है।
..तो कोटद्वार में मिली हार का बदला लेने उतरे है बलूनी
इस बात से भी इंकार नहीं कर सकते है कि वर्ष 2005 में कोटद्वार विधानसभा सीट पर मिली हार का बदला लेने भाजपा के बड़े चेहरे अनिल बलूनी फिर से मैदान में उतरे है। पूरा मामला कुछ यूं है। दरअसल, कोटद्वार विधानसभा सीट से वर्ष 2002 में किस्मत आजमाना चाही थी। पर उनका नामांकन निरस्त हो गया था। कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी विधायक चुने गए। उसके बाद बलूनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अंत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उपचुनाव हुआ। तब भी बलूनी को 16529 वोट मिले, लेकिन वह हार गए। सुरेंद्र सिंह फिर से विधायक बने। उसके बाद बलूनी ने उत्तराखंड की किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ा। अब बलूनी पौड़ी गढ़वाल सीट से चुनावी समर में उतरे है, जिसके अधीन ही कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र आता है।