200 करोड़ में मेला भूमि की डील तय..! मेरठ-दिल्ली के प्रॉपर्टी डीलरों से हुई डील, मेला अधिष्ठान की भूमिका को लेकर खड़े हो रहे सवाल, ऐसे तो खत्म हो जाएगी मेला भूमि..

हरिद्वार: नगर निगम चुनाव की गहमागहमी के मध्य में विशाल मेला भूमि की डील 200 करोड़ में तय हो गई है। वेस्ट यूपी और दिल्ली के बड़े बिल्डरों ने मेला भूमि का इकरारनामा भी कर लिया है। हैरानी की बात यह है कि मेला भूमि की खरीद फरोख्त की चर्चा के बीच जिलाधिकारी कर्मेद्र सिंह चुप्पी साधे हुए है, क्योंकि मेला भूमि पर बकायदा चाहरदीवारी कर ली गई है।

सवाल यह है कि आखिर मेला अधिष्ठान मेला भूमि की खरीद फरोख्त को लेकर असंवेदनशील रवैया क्यों अपना रहा है, इस रवैये को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हवा में तैर रही है। कुंभ-अर्द्धकुंभ मेले की व्यवस्थाओं के लिए लैंड बैंक बनाया गया है, जिसका इस्तेमाल कुंभ के अलावा शहर में होने वाले स्नान पर्वों में भी होता है।

पिछले दिनों एक विशाल मेला भूमि की खरीद फरोख्त की बात उछली। सामने आया कि मेला भूमि के स्वामी ने भूमि के मेला लैंड बैंक से निकले बिना ही उसका सौदा दौ सौ करोड़ में कर दिया है,इस बात पर मुहर उस वक्त लगी जब भूमि पर चाहरदीवारी भी कर दी गई। बकायदा सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिया गया।

मेला भूमि की डील को लेकर मेला अधिष्ठान की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे है। अगर इस तरह ही मेला भूमि की डील होती रहेती को फिर कुंभ-अर्द्धकुंभ मेले कैसे सम्पन्न होंगे। यही नहीं बड़े स्नान पर्व से लेकर कांवड़ मेला कैसे सम्पन्न हो सकेगा, यह यक्ष प्रश्न है। जिलाधिकारी ही मेलाधिकारी भी है लेकिन मेला भूमि पर चाहरदीवारी को लेकर उनकी सक्रियता दिखाई न देना भी कई बड़े सवालों को जन्म दे रहा है।

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