दारोगा जी किसके, तोड़पानी किया और खिसके, कहाँ का है मामला

K.D.
हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा ही चोखा। दारोगा जी कलम आग उगल रही है। वे रस्सी का सांप बना रखने की कुव्वत रखते है, जी हां देहात की एक कोतवाली में तैनात दारोगा जी पर यह कहावत बिलकुल सटीक बैठ रही है। बस मुट्ठी दारोगा जी के मन मुताबिक गर्म होनी चाहिए, फिर किसी को भी जेल की ऊंची ऊंची सलाखों के पीछे भेजना उनका चुटकियों का काम है। देहात के एक धोखाधड़ी से जुड़े प्रकरण की यह पूरी कहानी है।
अल्संख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दो पक्षों के बीच चली आ रही रंजिश के चलते धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ, उसके बाद मानो पुलिस की मौज आ गई। प्रकरण की जांच भी उसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक दारोगा जी को दे दी गई।
बस फिर क्या था, दारोगा जी ने खेला शुरू कर दिया। एक पक्ष के समर्थन में उतरे दारोगा जी ने पहले दूसरे पक्ष को इस कदर प्रताडित किया कि वे कराह उठे। उसी का फायदा दारोगा जी ने उठाया। नरमी बरतने के लिए नमस्ते ले ली, उसके बाद थोड़ी नरमी जरूर बरती। पर, दारोगा के दिमाग में चल रहे खेल का दूर दूर तक इल्म दूसरे पक्ष को नहीं था, उन्हें विश्वास हो गयाथा कि तफ्तीश  सही दिशा में होगी।
पर, दारोगा जी ने नमस्ते लेने के बाद फिर आंख पलटते हुए दूसरे पक्ष के एक आरोपी को धर लिया। दूसरे पक्ष ने जब मुट्ठी गर्म होने की दुहाई दी तो दारोगा जी भड़क उठे। बोले कि वे सिर्फ उस वक्त नरमी बरतने के थे, जेल तो जाना ही हेागा। चर्चा है कि दारोगा जी ने पांच पेटी का तोड़ पानी किया है, धीरे धीरे दूसरे पक्ष के हर शख्स को जेल जाना ही होगा।
देहात में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। चूंकि दारोगा जी देहात क्षेत्र के धुरधंर है, इसलिए तिलों से तेल निकालने में वे पूरी तरह से माहिर है। इस पूरे प्रकरण में शामिल कोतवाल साहब के कारनामे का बखान अगली किश्त में होगा, जल्द पढ़े।

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