
जनघोष-ब्यूरो
हरिद्वार: लोकसभा में खनन के मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत धरातल पर बिल्कुल भी नहीं देख पा रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें मौजूदा समय में दो क्रेशर पर चल रहा अवैध खनन का नंगा नाच दिखाई नहीं दे रहा है।

सांसद की चुप्पी भी सवाल खड़े कर रही है। इधर खनन माफिया लाला जी पूरी चांदी काटने में शिद्दत से जुड़े हुए हैं। नए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित अभी तक जिले का भूगोल ही समझने में जुटे हैं, तब तक खनन माफिया करोड़ों रुपए अर्जित कर चुके होंगे।

पिछले करीब डेढ़ माह से दो क्रेशर पर वाटर रीसाइकलिंग की आड़ में अवैध खनन का खेल चल रहा है। बताते हैं कि क्रेशर कैंपस के अलावा आसपास का पूरा क्षेत्र खोदकर खनिज निकाला जा चुका है। सौ-सौ फुट से अधिक गहरी खाई की जा चुकी है लेकिन जिला प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है।

तत्कालीन जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह तो बिल्कुल चुप्पी साधे हुए थे। नए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के जिले की कमान संभालने के बाद उम्मीद जगी है कि शायद अवैध खनन कर रहे क्रेशर स्वामी पर शिकंजा कसा जाएगा लेकिन अभी ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है।

हरिद्वार से लोकसभा सांसद त्रिवेंद्र रावत खनन के मुद्दे पर साफगोई से अपना पक्ष कई बार रख चुके हैं लेकिन इन दोनों चल रहे अवैध खनन को लेकर भी चुप है। ऐसे में कई सवाल खड़े होना लाजमी है।

चर्चा है कि क्रेशर स्वामी पूरे सिस्टम पर ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों पर भी भारी पड़ रहा है। शायद यही वजह है कि सिस्टम के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी खामोश है। इस खामोशी की कई सारी वजह गिनाई और बताई जा रही हैं।