
K. D
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की हरिद्वार संसदीय सीट पर जीत के साथ ही भाजपा में शह मात का खेल अब शुरू हो गया है। जीत की पूर्व संध्या से लेकर जीत के जश्न में त्रिवेंद्र सिंह रावत गुट ने तीन पूर्व विधायकों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है, यही नहीं केंद्रीय विद्यालय कैपस में मतगणनास्थल पर पहुंचे एक पूर्व विधायक से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बात करना गंवारा नहीं समझा.
तेजी से पार्टी में बदले इस सियासी परिदृश्य को लेकर एक मौजूदा भाजपा विधायक का खेमा पूरी तरह से गदगद है। हरिद्वार सीट से त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीत के साथ एक नया गुट वजूद में आ गया है। फिलवक्त देहरादून दरबार में अहमियत रखना वाला गुट सिस्टम को अपने इशारे पर नचा रहा है, पर अब टीएसआर की जीत के बाद उनका दखल होना भी लाजिमी है।
मौजूदा सांसद मीडिया के समक्ष खुलकर अपनी बात रख रहे है, यही नहीं एक खेमे से त्रिवेंद्र गुट की अदावत को ऐसे समझा जा सकता है कि मतगणना से पूर्व बहादराबाद क्षेत्र के एक होटल में हुई बैठक में तीन पूर्व विधायकों को आमंत्रित ही नहीं किया गया। संगठन के चश्मे के लिहाज से वे अभी भी अपने विधानसभा क्षेत्र से विधायक माने जाते है लेकिन उनके विधानसभा क्षेत्र से उनके विरोधी गुट के चेहरों को मतगणना स्थल पर जिम्मेदारी से नवाजा गया।
ऐसे में भाजपा में गुटबाजी अभी से अगड़ाई लेने लग गई है। सूत्रों की माने तो उस बैठक में संगठन के चेहरों को लेकर भी दिग्गजों ने जमकर व्यंग किए। इधर, त्रिवेंद्र से जुड़े एक मौजूदा विधायक के खेमे में सांसद के रवैये को लेकर पूरी तरह से खुशी की लहर है।
जमीन चाट रहे इस खेमे को फिर से त्रिवेंद्र की बदौलत अपनी भुजाओं में ताकत वापस लौटने की पूरी उम्मीद है। निकट भविष्य में देखना दिलचस्प होगा कि बेबाक टीएसआर नगर निकाय चुनाव को लेकर कितनी दिलचस्पी लेते है और दूसरे गुट से कैसे लोहा लेते है।
ऐसे में भाजपा में गुटबाजी अभी से अगड़ाई लेने लग गई है। सूत्रों की माने तो उस बैठक में संगठन के चेहरों को लेकर भी दिग्गजों ने जमकर व्यंग किए। इधर, त्रिवेंद्र से जुड़े एक मौजूदा विधायक के खेमे में सांसद के रवैये को लेकर पूरी तरह से खुशी की लहर है।
जमीन चाट रहे इस खेमे को फिर से त्रिवेंद्र की बदौलत अपनी भुजाओं में ताकत वापस लौटने की पूरी उम्मीद है। निकट भविष्य में देखना दिलचस्प होगा कि बेबाक टीएसआर नगर निकाय चुनाव को लेकर कितनी दिलचस्पी लेते है और दूसरे गुट से कैसे लोहा लेते है।
