
जनघोष ब्यूरो
हरिद्वार: साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश का कहना है की अखाड़ा परिषद का ना कोई अध्यक्ष है ना कोई महामंत्री और ना ही अखाड़ा परिषद का कोई अस्तित्व है, और ना ही अखाड़ा परिषद का कोई रजिस्ट्रेशन है।

अखाड़ा परिषद नाम की कोई संस्था नहीं है केवल कुंभ मेले के कार्यों को संचालित करने के लिए सभी 13 अखाड़े एक अखाड़े के महंत को अध्यक्ष व एक अखाड़े के महंत को महामंत्री चुनते है। ये दो लोग मेला अधिष्ठान व सन्तो के बीच सामंजस्य की भूमिका निभाते है।नरेंद्र गिरी की मृत्यु के बाद अखाड़ा परिषद का कोई चुनाव नही हुआ है।

महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश के अनुसार प्रयाग कुम्भ में भी कोई अध्यक्ष नहीं था ,ना कोई महामंत्री था ।वहां भी स्वयंभू अध्यक्ष और महामंत्री बने डोल रहे थे ।और ना अब कोई अध्यक्ष महामंत्री है यह अध्यक्ष महामंत्री जो बने हुए डोल रहे हैं। यह अपने कृतियों को छुपाने के लिए और प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए ही अपने आप को स्वयंभू अध्यक्ष और महामंत्री घोषित करते रहते हैं।

जूना अखाड़े के हरि गिरि जी महाराज विगत 18 वर्षों से महामंत्री बने चले आ रहे हैं। जबकि अब जूना अखाड़े में ही इनकी कोई नहीं सुनता है। दूसरे जो निरंजनी अखाड़े के अपने आप को अध्यक्ष घोषित करते हैं, वे भी स्वयंभू अध्यक्ष है। क्योंकि अखाड़ा परिषद का कोई चुनाव नही हुआ है। कल बैरागी कैंप में साधु संतों की हुई बैठक में 8 अखाड़े शामिल होने का दावा किया गया है।

जिसमें यह निर्णय लिया गया है की 2027 में हरिद्वार में होने वाले अर्ध कुंभ को लेकर प्रशासन इन्हीं आठ अखाड़ों से बात करेगा तब जाकर कोई निर्णय लिया जाएगा। की आगे का क्या कदम उठाना है। केवल एक व्यक्ति जो अपने आप को खुद ही अध्यक्ष बताता है, और एक व्यक्ति जो अपने आप को महामंत्री कहता है। उनकी कोई बात मानने के लिए ना तो कोई अखाड़े तैयार है ना कोई साधु संत तैयार है ।तो इसलिए प्रशासन को यह देख लेना चाहिए कि कौन लोग इस अर्ध कुंभ को संपन्न करा सकते हैं और कौन लोग नहीं










