
K.D.
बहादराबाद क्षेत्र में गैस रिफलिंग के धंधे से पर्दा उठाने के बाद भी आपूर्ति विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। घटनास्थल पर ही जब साफ हो गया था कि इस गोरखधंधे में कनखल की गैस एजेंसी का डिलीवरी वाहन मौके पर मिला है तब भी गैस एजेंसी स्वामी तक जांच की आंच नहीं आई।
जाहिर है कि उसी गैस एजेंसी से ही सिलेंडर आए होंगे, फिर भी गैस एजेंसी स्वामी को मुदकमे में नामजद क्यों नहीं किया गया है। यह हैरान कर देने वाला ही है, महज छोटी मछलियों को पकड़कर आपूर्ति विभाग अपनी पीठ खुद ही थपथपा रहा है।
27 अक्तूबर को आपूर्ति विभाग ने बहादराबाद क्षेत्र में पार्वती एनक्लेव में एक भवन में छापा मारी करते हुए वहां मिले एक डिलीवरी वाहन से तीस और हृदय राम निवास भवन से पचास व्यवसायिक सिलेंडर, दो नोजल बरामद किएथे।
सामने आया था कि घरेलू से व्यवसायिक सिलेंडर में रिफलिंग की जा रहीथी। जिला पूर्ति अधिकारी तेजबल ने उस वक्त विजेंद्र, निशांत, सचिन निवासीगण गांव धनपुरा के अलावा भवन स्वामी बल सिंह चौहान के खिलाफ संबंधित धारा में मुकदमा दर्जकराया था। आरोप था कि इस गोरखधंधे से प्रति सिलेंडर के हिसाब से नौ सौ रूपये राजस्व का नुकसान हो रहा था।
लाजिमी है दोनों ही तरह के सिलेंडर किसी एजेंसी से आए ही होगे।
एक एजेंसी का वाहन मौके पर मिला है। उसमें सिलेंडर भी लदे है, साफ है कि इस धंधे में एजेंसी स्वामी की भी भूमिका हो सकती है। उसके खिलाफ भी नामजद मुकदमा होना चाहिए था, आखिर उसकी गैस एजेंसी के वाहन का इस्तेमाल इस धंधे में हो रहा है। सवाल यह है कि आखिर गैस एजेंसी स्वामी के गिरेबां तक पहुंचने वाले आपूर्ति विभाग के हाथ किसके बांध दिए, इसकी तस्वीर साफ होनी चाहिए।
अगर केवल आपूर्ति विभाग को इस गोरखधंधे की तह तक पहुंचना ही नहीं है, फिर भला यह छापेमारी की नौंटकी करने की क्या आवश्यकता है। आपूर्ति विभाग ने एक तरह से अपना पल्ला झाड़ लिया है, अब बहादराबाद पुलिस पर दूध का दूध पानी का पानी करने का दारोमदार है। देखना दिलचस्प होगा कि बहादराबाद पुलिस की जांच की आंच गैस एजेंसी स्वामी तक पहुंचती है या फिर…।