
जनघोष-ब्यूरो:-
हरिद्वार: एक तरफ सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वर्ष 2027 में होने वाले अर्द्धकुंभ को पूर्ण कुंभ का रूप देकर दिव्य भव्य तौर पर संपन्न कराने का दम भर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुंभनगरी में ही कुंभ मेला भूमि पर कब्जा हो रहा है।

ऐसे में भव्य दिव्य कुंभ की परिकल्पना भला कैसे साकार होगी, इसका अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि मेला अधिकारी कर्मेंद्र सिंह भी खुली आंखों से कब्जे का खेल होते हुए देख रहे हैं। चर्चा है कि एक प्रभावशाली पूर्व काबिना मंत्री कब्जे के इस खेल को खेल रहा है।

पूरा मामला कुछ यूं है। दूधधारी तिराहे से सटी कुंभ मेला भूमि पूर्व पालिकाध्यक्ष कांग्रेस नेता स्वर्गीय पारस कुमार जैन के परिवार के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज चली आती है लेकिन भूमि का उपयोग कुंभ मेला भूमि के तौर पर होता है। कुंभ के अलावा भी स्नान पर्वों में उस भूमि पर अस्थाई बस स्टैंड से लेकर पार्किंग तक बनाई जाती है।

हैरानी की बात यह है कि कुछ माह पहले भूमि पर चाहरदिवारी खड़ी कर दी गई है। जिला प्रशासन ने भी सब कुछ जानते हुए भी भूमि पर चाहरदिवारी होने दी। सवाल यह है कि आखिर मेला भूमि पर चाहरदिवारी कैसे हो सकती है ।जब उसका लैंड यूज ही चेंज नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि एक पूर्व काबिना मंत्री की शह पर चाहरदिवारी की गई है और पूर्व पालिका अध्यक्ष का परिवार इस भूमि को ठिकाने लगाने में जुटा हुआ है।

चर्चा है कि दिल्ली एनसीआर के प्रभावशाली लोगों को जमीन देने की पूरी तैयारी कर ली गई है। धामी सरकार 2027 के भव्य दिव्य कुंभ के जो दावे कर रही है ऐसे में वह कैसे पूरा होगे।जब कुंभ मेला भूमि ही नहीं बचेगी। भूमि पर पार्किंग का ठेका दे दिया गया है।आखिर मेलाधिकारी को साफ करना चाहिए कि चार कैसे की गई है।