सीएम साहब: छोटे साहब की मनमानी पर कब होगा एक्शन, कैसे तोड़े गए नियम, डीएम को भी किया साइड लाइन, जीरो टॉलरेंस की उड़ाई जा रही धज्जियां..

हरिद्वार: देश के आदर्श पंडित मदन मोहन मालवीय की बनाई संस्था ऋषिकुल विद्यापीठ को दान में मिली बेशकीमती भूमि को खुर्द करने के प्रकरण में आखिर कब कार्रवाई होगी ।यह सवाल जस का तस है।

बिना परवाना आए संपत्ति को लेकर राजस्व अभिलेखों में पक्षकार की बजाय किसी दूसरे का नाम दर्ज करने में जल्दबाजी दिखाने वाले तहसील प्रशासन की भूमिका से कब पर्दा उठेगा। यह जानने को हर शहरवासी आतुर है।

जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने भले ही जांच कमेटी गठित कर दी हो लेकिन जांच रिपोर्ट आखिर कब आएगी ,इसका इंतजार हर एक आम शहरी को है। साफ है कि बेशकीमती भूमि पर भू माफियाओ की गिद्धदृष्टि लगी हुई है।

लेकिन हद तो तब हो गई जब राजस्व परिषद के फैसले का परवाना तहसील में पहुंचने से पहले ही तहसील प्रशासन ने संपत्ति को लेकर राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज करने में जरा भी देर नहीं लगाई। चर्चा है कि एक छोटे साहब ने इस अपने निजी स्वार्थ के कारण इस करतूत को अंजाम दिया है, जिसकी एवज में बड़ी नमस्ते हुई है।

पूरा मामला….
विकास कालोनी में स्थित बेशकीमती भूमि को 02 सितम्बर 1913 को अखाड़ा निर्वाणी ने ऋषिकुल ब्रहमचारी आश्रम को दान में दे दिया था। तब से अब तक ऋषिकुल विद्यापीठ संस्था का ही कब्जा उक्त भूमि पर चला आता है। उक्त संस्था का प्रशासन जिलाधिकारी और सचिव सिटी मजिस्ट्रेट पदेन होता है। वे ही पूरी संस्था का संचालन करते है। राजस्व परिषद देहरादून में श्याम सुन्दर सिंघानिया नाम के शख्स ने भूमि पर अपना अधिकारी बताते हुए वाद दायर किया था।

सुनवाई के दौरान राजस्व परिषद कोर्ट में भूमि संबंधी दाननामा न मिलने पर श्याम सुंदर सिंधानिया के नाम फैसला सुना दिया गया। डीजीसी राजस्व ने कोर्ट में पैरवी भी की थी। पर, आनन फानन में ही राजस्व परिषद के फैसले का परवाना आने से पूर्व ही तहसील प्रशासन ने चुस्ती फुर्ती दिखाते हुए संपत्ति में पक्षकार का नाम दर्ज कर किया। बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी जल्दी क्यों दिखाई गई जबकि उस संस्था के प्रशासन खुद जिलाधिकारी है।

मिल गया दाननामा, रिव्यू होगा दाखिल
हरिद्वार, राजस्व परिषद कोर्ट में संस्था की तरफ से रिव्यू दाखिल किया जाएगा। संस्था को ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रहमचर्याश्रम के नाम हुआ दाननामा ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज से मिल गया। उर्दू भाषा में यह दाननामा लिखा है, जिसका हिंदी अनुवाद करा लिया गया है। जिलाधिकारी कर्मेद्र सिंह ने चिंता जाहिर की है कि भूमि पर शासकीय हित निहित है। प्रश्नगत भूमि को कतिपय व्यक्तियों द्वारा खुर्द-बुर्द करने का प्रयास किया जा रहा है इसलिए भूमि के क्रय-विक्रय पर रोक लगाई जाती है।

इतनी है जमीन
हरिद्वार, मौजा शेखुपुरा उर्फ कनखल परगना ज्यालापुर तहसील व जिला हरिद्वार के खसरा संख्या-27/1 रकबा 0.3480 है। खसरा संख्या-27/2 रकबा 0.4870 है।

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