
जनघोष ब्यूरो
भेल संपदा विभाग की तानाशाही जारी है। कावड़ यात्रा के दौरान नॉनवेज और अंडे की बिक्री पर लगी रोक अभी भी जारी है जबकि पूरे शहर में नॉनवेज और अंडे बिकना शुरू हो गए हैं ।भेल संपदा विभाग की तानाशाही के चलते गरीबों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।

यह आलम तब है जब भेल से ना तो कावड़िया गुजरते हैं ना ही कावड़ यात्रा रूट का भेल से कोई लेना देना है लेकिन संपदा विभाग अपनी मनमर्जी पर उतारू है। कांवड़ यात्रा के दौरान भेल कैंपस की सभी खोखा मार्केट, रेस्टोरेंट और साप्ताहिक पैठ बाजार में नॉनवेज और अंडों की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी।

यह पहली बार हुआ होगा क्योंकि एक क्षेत्र से ना तो कावड़िए गुजरते हैं ना ही कावड़ का कोई असर भेल में दिखाई देता है।संपदा विभाग ने पहले तो हठधर्मिता दिखाते हुए गरीबों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा किया अब जब कांवड़ यात्रा खत्म होने के बाद पूरे शहर में नॉनवेज और अंडे बिक रहे हैं लेकिन भेल में अभी भी और रोक जारी है। कांवड़ यात्रा खत्म होने के बाद भी गरीब दुकानदार नॉनवेज और अंडे नहीं बेच पा रहे हैं, ऐसे में उनके परिवार के सामने भरण पोषण का गहरा संकट आ खड़ा हुआ है।

भेल संपदा विभाग आखिर किसको खुश करने के लिए अपनी हठधर्मिता पर उतारू है ,यह उजागर होना चाहिए। संपदा विभाग की जोराजमाइश भेल की भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों पर तो नहीं चलती लेकिन गरीब दुकानदारों पर जरूर उनका हंटर काम करता है। क्योंकि वह नियम से बंधे हैं, हालांकि नॉनवेज या अंडे बेचने का कोई नियम भेल संपदा विभाग की डिक्शनरी में नहीं है।