“गंगा किनारे मौत का इरादा, वीडियो कॉल पर टूटा पिता, पुलिस की सतर्कता ने बचाई जान..

जनघोष-ब्यूरो
हरिद्वार:
“अब मुझसे नहीं होगा… मैं हरकी पैड़ी पहुंच चुका हूं, अब यहीं से कूद जाऊंगा…” — ये शब्द एक युवक ने अपने पिता से वीडियो कॉल पर कहे। गंगा के किनारे का दृश्य और घाट की टाइल्स देखकर पिता ने घबराकर हरिद्वार पुलिस कंट्रोल रूम में फोन घुमाया। संकट की इस घड़ी में पुलिस ने न सिर्फ सूझबूझ दिखाई बल्कि तेज़ी से एक जान को मौत के मुंह से खींच लाया।

कंट्रोल रूम ने पहचानी लोकेशन, टीम हुई रवाना…..
पिता की कॉल के तुरंत बाद कंट्रोल रूम ने वीडियो कॉल की पृष्ठभूमि से घाट की पहचान की। हरकी पैड़ी की काली-सफेद टाइलें, बहती गंगा… सबने लोकेशन की पुष्टि कर दी। उप निरीक्षक हरि प्रसाद और चौकी टीम को अलर्ट किया गया।

घाट के पास मिला युवक, समझा-बुझाकर लाई गई चौकी…..
घटना को गंभीर मानते हुए टीम ने कुछ ही मिनटों में युवक को घाट के पास खोज निकाला। पुलिसकर्मियों ने उसे शांत किया, सहारा दिया और धीरे-धीरे बातचीत के ज़रिए उसे हरकी पैड़ी चौकी लाया गया।

काउंसलिंग के बाद परिजनों को सौंपा……
चौकी में युवक की काउंसलिंग की गई ताकि वह दोबारा ऐसा आत्मघाती कदम न उठाए। इसके बाद परिजनों को सूचना दी गई। कुछ ही देर में माता-पिता पहुंचे और बेटे को सही सलामत देखकर भावुक हो उठे।

“अगर पुलिस वक्त पर न पहुंचती तो……..
युवक के पिता ने कहा, “बेटे की हालत देखकर हमारी सांसें थम गई थीं। अगर पुलिस समय पर न पहुंचती तो शायद आज वो हमारे साथ न होता। हम इस सहायता के लिए तहेदिल से शुक्रगुज़ार हैं।”

एक कॉल, एक समर्पित टीम और बच गई एक ज़िंदगी…….
हरिद्वार पुलिस के कंट्रोल रूम से लेकर मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों तक, हर किसी ने अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया। तकनीकी दक्षता, संवेदनशीलता और तेज़ रेस्पॉन्स के चलते एक बड़ा हादसा टल गया।

एसएसपी बोले – “हर संकट में हम साथ…
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने कहा, “हर कॉल हमारे लिए सिर्फ सूचना नहीं, एक ज़िम्मेदारी है। कंट्रोल रूम और फील्ड टीम की सजगता व आपसी तालमेल से यह जीवन बचाया जा सका। हम हर व्यक्ति की मदद को तत्पर हैं। मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों से अपील है कि संवाद करें, चुप न रहें — हम सुनने और मदद करने के लिए हैं।

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