
जनघोष-ब्यूरो
हरिद्वार में कांवड़ यात्रा 2025 के सफल आयोजन को लेकर नगर निगम हरिद्वार द्वारा व्यापक तैयारियाँ की गई हैं। तीर्थ क्षेत्र की गरिमा और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए इस बार नगर निगम ने तकनीक और निगरानी की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। घाटों की सफाई व्यवस्था की प्रभावी निगरानी के लिए नगर निगम ने ड्रोन सेवाएं प्रारंभ की हैं।

नगर निगम द्वारा एक आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से ड्रोन सेवा ली गई है, जो कांवड़ मेले के दौरान घाटों और आसपास के क्षेत्रों की रियल टाइम निगरानी कर रही है। यह पहल स्वच्छता व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक नवाचार के रूप में देखी जा रही है।

कांवड़ मेले के दौरान घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए नगर निगम द्वारा सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है। प्रत्येक घाट पर आवश्यकतानुसार अतिरिक्त सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है, जिनकी निगरानी के लिए सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। वहीं समस्त प्रमुख घाटों पर नगर निगम के मुख्य सफाई निरीक्षकों को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है, जो न केवल सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कर रहे हैं, बल्कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी कर रहे हैं।

नगर आयुक्त श्री नंदन कुमार द्वारा बताया गया कि कांवड़ यात्रा के दौरान घाटों की स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु नगर निगम द्वारा तकनीकी निगरानी की एक प्रभावी व्यवस्था लागू की गई है। जब भी किसी घाट पर गंदगी पाई जाती है, तो ड्रोन द्वारा उसकी फोटो खींचकर, लोकेशन सहित एक संदेश नगर निगम के अधिकृत व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजा जाता है। इस ग्रुप से संबंधित क्षेत्र के सभी मुख्य सफाई निरीक्षक जुड़े होते हैं, जो प्राप्त चित्रों के आधार पर तत्क्षण कार्रवाई करते हैं। संबंधित घाट के सुपरवाइजर के माध्यम से तत्काल सफाई कार्य सुनिश्चित किया जाता है।

नगर निगम हरिद्वार द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल मानवीय संसाधनों तक ही सीमित न रहकर तकनीक का भी भरपूर उपयोग किया जाए। ड्रोन सेवा के माध्यम से निगरानी की यह प्रणाली घाटों की सफाई व्यवस्था को त्वरित, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कांवड़ यात्रा के दौरान यह पहल न केवल नगर निगम की सक्रियता को दर्शाती है, बल्कि स्वच्छता, तकनीक और पारदर्शिता के समन्वय का उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। नगर निगम हरिद्वार का यह प्रयास आने वाले वर्षों में तीर्थनगरी के लिए एक स्थायी मॉडल के रूप में स्थापित हो सकता है।

हरिद्वार में कांवड़ यात्रा 2025 के सफल आयोजन को लेकर नगर निगम हरिद्वार द्वारा व्यापक तैयारियाँ की गई हैं। तीर्थ क्षेत्र की गरिमा और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए इस बार नगर निगम ने तकनीक और निगरानी की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। घाटों की सफाई व्यवस्था की प्रभावी निगरानी के लिए नगर निगम ने ड्रोन सेवाएं प्रारंभ की हैं।

नगर निगम द्वारा एक आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से ड्रोन सेवा ली गई है, जो कांवड़ मेले के दौरान घाटों और आसपास के क्षेत्रों की रियल टाइम निगरानी कर रही है। यह पहल स्वच्छता व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक नवाचार के रूप में देखी जा रही है।

कांवड़ मेले के दौरान घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए नगर निगम द्वारा सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है। प्रत्येक घाट पर आवश्यकतानुसार अतिरिक्त सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है, जिनकी निगरानी के लिए सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। वहीं समस्त प्रमुख घाटों पर नगर निगम के मुख्य सफाई निरीक्षकों को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है, जो न केवल सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कर रहे हैं, बल्कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी कर रहे हैं।

नगर आयुक्त श्री नंदन कुमार द्वारा बताया गया कि कांवड़ यात्रा के दौरान घाटों की स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु नगर निगम द्वारा तकनीकी निगरानी की एक प्रभावी व्यवस्था लागू की गई है। जब भी किसी घाट पर गंदगी पाई जाती है, तो ड्रोन द्वारा उसकी फोटो खींचकर, लोकेशन सहित एक संदेश नगर निगम के अधिकृत व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजा जाता है। इस ग्रुप से संबंधित क्षेत्र के सभी मुख्य सफाई निरीक्षक जुड़े होते हैं, जो प्राप्त चित्रों के आधार पर तत्क्षण कार्रवाई करते हैं। संबंधित घाट के सुपरवाइजर के माध्यम से तत्काल सफाई कार्य सुनिश्चित किया जाता है।

नगर निगम हरिद्वार द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल मानवीय संसाधनों तक ही सीमित न रहकर तकनीक का भी भरपूर उपयोग किया जाए। ड्रोन सेवा के माध्यम से निगरानी की यह प्रणाली घाटों की सफाई व्यवस्था को त्वरित, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कांवड़ यात्रा के दौरान यह पहल न केवल नगर निगम की सक्रियता को दर्शाती है, बल्कि स्वच्छता, तकनीक और पारदर्शिता के समन्वय का उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। नगर निगम हरिद्वार का यह प्रयास आने वाले वर्षों में तीर्थनगरी के लिए एक स्थायी मॉडल के रूप में स्थापित हो सकता है।