
K.D.
हरिद्वार जेल ब्रेककांड में पूरी तरह से हरिद्वार जेल प्रशासन ही जिम्मेदार है। जेल ब्रेककांड जेल स्टॉफ के गैर जिम्मेदराना रवैये का ही नतीजा है, अगर जेल स्टॉफ सजग होता तो सूबे की सबसे सुरक्षित जेल की सुरक्षा व्यवस्था दागदार न होती। यह हकीकत शुरूआती जांच में ही पूरी तरह से उजागर हो गई है, दूसरी बड़ी बात यह है कि जेल कैंपस को पर्यटन स्थल में तब्दील कर दिया गया है। आए दिन किसी न किसी आयोजन के नाम पर संवेदनशील जेल में आमजन का हुजूम उमड़ता रहता है, इस सूरत में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होने लाजिमी है। आखिर इस तरह के आयोजनों के पीछे क्या मकसद छिपा है, इसकी तस्वीर साफ होने की जरूरत है। सूबे की सुरक्षित हरिद्वार जेल से दो कैदियों के फिल्मी स्टाइल में फुर्र होने की वारदात ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया है।

जेल में निर्माणाधीन हाईसिक्योरिटी बैरक में सीढ़ी और पानी के पाइप को यूं ही लावारिस छोड़ा हुआ था, यह सीधे सीधे जेल प्रशासन की लापरवाही है। जेल में सीढ़ी को खुले स्थान पर छोड़ देना सीधे सीधे सुरक्षा से खिलवाड़ ही है, वो भी तब जब जेल की दीवार 22 फुट ऊंची है और दोनों सीढ़ी की लंबाई मिलाकर सीढ़ी 19 फुट की है। जब सुरक्षा से इस तरह का खिलवाड़ होगा तो भला कैदी क्यों नहीं फरार होंगे। पूरा जेल प्रशासन तो जेल कैंपस में तरह तरह के आयोजन कराने में ही व्यस्त रहता है।

उन्हें सुरक्षा व्यवस्था से कोई लेना देना नहीं है। शु्क्रवार को भी जब घटना घटी तब पूरा जेल स्टॉफ रामलीला का आनंद उठा रहा था, उन्हें संवेदनशील जेल की डयूटी से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं था। उसी का फायदा कैदियों ने उठाया। वो तो शुक्र है कि तीसरा कैदी भाग नहीं सका, या उन्होंने अपने साथ कई अन्य कैदियों को शामिल नहीं किया। वरना कैदियों की संख्या बढ़ना तय थी। जेल के अफसर इतने गैरजिम्मेदराना रवैये के साथ डयूटी को अंजाम देते है, जब जेल महकमा खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी के अधीन है।