कांग्रेस पर आफत—विरेंद्र रावत: हरीश रावत पुत्र मोह के चक्कर में कांग्रेस को ले डूबेंगे

K.D.

2014 में हरिद्वार से हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत की चुनावी हार का बदला हरीश रावत ने हरिद्वार की जनता से लिया था। बतौर सीएम हरीश रावत ने हरिद्वार के कांग्रेसी नेताओं और समर्थकों की तो छोडिए यहां की आम जनता को हाशिये पर डालकर अपमानित किया था। हरिद्वार को अपनी रियासत समझने वाले हरीश रावत ने अपने पुत्र विरेंद्र रावत को सबसे अव्वल बताकर हरिद्वार के लोगों को फिर अपमान करने का काम किया है। हालांकि वो इतना बडा झूठ सिर्फ इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि हरीश रावत परिवार की राजनीति का शायद ये आखिरी चुनाव हैं और इसके लिए वो किसी भी हद तक गिरने के लिए तैयार हैं।

पार्षदी ना लडी और सीधे सांसदी का टिकट दिलवा दिया
सवाल ये भी उठ रहा है कि जिस विरेंद्र रावत को हरीश रावत सर्वश्रेष्ठ साबित करने में जुटे हैं। क्या वो कभी कोई चुनाव लडा है। जिसने पार्षद या पंचायत तक का चुनाव ना लडा हो फिर ऐसे अनुभवहीन व्यक्ति को सीधे सांसद का टिकट क्यों दिलवाया गया। क्या विरेंद्र रावत हरक सिंह रावत से बडा नाम है। क्या करण माहरा का विरेंद्र रावत से कम हैं। या फिर राजकुमार सैनी भी विरेंद्र रावत से हल्के हैं। लेकिन परिवार और पुत्र मोह में हरीश रावत को कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।

नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी
हरिद्वार के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है। नेता दबी जबान में कह रहे हैं कि हरीश रावत ने विरेंद्र रावत को टिकट दिलाने के लिए जबरदस्ती की है। विरेंद्र रावत को लेकर कांग्रेसियों में भारी गुस्सा है। समर्थकों का कहना है कि अच्छा उम्मीदवार होने की स्थिति में परिणाम सुखद रहते हैं लेकिन हरीश रावत ने उत्तराखण्ड कांग्रे के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम किया है।

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