साहब, लग्जरी सोफा और बेबस खाकी..

जनघोष-ब्यूरो:-
हरिद्वार,
साहब बहादुर की ठसक—हनक से अधीनस्थ पस्त हो रहे है, अरे भाई हो भी क्यों ना… साहब बहादुर के शौक भी अच्छे खासे महंगे है,जो अधीनस्थों की जेब पर भारी पड़ रहे है। कुछ यही तस्वीर गढ़वाल के एक बड़े जिले में देखने को मिली, जब लग्जरी सोफे ने अधीनस्थों के पसीने छुड़ा दिए।

पूरे महकमे में साहब के सोफे के ही नहीं बल्कि अगल अलग ख्वाहिशों के कच्चे चिटठे हवा में तैर रहे हैं। गढवाल के एक बडे जिले में ताजा ताजा प्रमोशन लेकर नई कुर्सी पर बैठे साहब बहादुर की ठसक हनक देखते ही बनती है। पुलिस महकमे में साहब के किरदार को लेकर बनी तस्वीर अब नई कुर्सी पर बैठते ही साफ हो रही है।

बेहद सामान्य से दिखाई देने वाले साहब का असल किरदार सामने आने पर हर कोई सन्न है। चर्चा है कि नया दायित्व मिलते ही साहब के किरदार में रंग उनके सारथी ने भरे हैं, जिसकी भी अपनी अलग हसरतें हैं। हुआ कुछ यूं कि साहब के दिमाग में बैठे बैठे आया कि उनका कार्यालय भी बेहद सुसज्जित होना चाहिए।

बस फिर क्या था, सारथी ने कान में आइडिया फूंक दिया। साहब ने भी फोन घनघनाकर आदेश सुना दिया। पर, साहब के शब्द जब थानेदार के कान में गूंजे तो उसका चेहरा फीका पड़ गया। दरअसल, साहब ने फरमान सुनाया कि सोफा लग्जरी होना चाहिए। उसकी कीमत एक लाख से कम किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए।

अब अदना थानेदार क्या करता..! आखिर साहब बहादुर भविष्य में किसी बडे जिले के आका भी हो होंगे। बस फिर एक बेहद बडी फर्नीचर्स की दुकान से सोफा खरीदकर साहब के कार्यालय में भेजा गया। साहब सोफे को देखकर अब रोजाना मंद मंद मुस्कुराते है और साहब का सोफा पुलिस महकमे में सुर्खियां बंटोर रहा है।

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