
K.D.
हरिद्वार नजीवाबाद राजमार्ग पर तेल चोरी के सनसनीखेज खुलासे को आपूर्ति विभाग ने मजाक बना रख डाला है। एक तरह से तेल चोरी के मलाईदार खेल की गेंद श्यामपुर पुलिस के पाले में डाल दी है लेकिन अभी तक पुलिस ने भी अगड़ाई नहीं ली है। बड़ा सवाल यह है कि आपूर्ति विभाग ने आखिरकार तेल माफिया को अपनी शिकायत में नामजद क्यों नहीं कराया, यह हैरान कर देने वाला है। ऐसे में कई सवाल विभाग की कार्यशैली केा लेकर खड़े हो रहे है।
पिछले दिनों डिप्टी कलेक्टर मनीष सिंह ने जिलाधिकारी कर्मेद्र सिंह के निर्देश पर तेल चोरी के खेल का पर्दाफाश करते हुए दो टैंकर बरामद किए थे। मौके पर एक टैंकर का चालक तो दूसरे का क्लीनर मौके पर दबोचा गया था जबकि कई लोग मौके पर अपने अपने दोपहिया वाहन छोड़कर फरार हो गए थे। चिड़ियापुर क्षेत्र के एक बंद ढाबे पर यह पूरा खेल खुल्लम खुल्ला बेखौफ होकर खेला जा रहा था। स्थानीय पुलिस से लेकर आपूर्ति विभाग इस खेल से पूरी तरह से अनभिज्ञ था, यह हैरानी की ही बात थी।
साफ है कि टैकर के क्लीनर चालक एक तेल माफिया को ही तेल चोरी कर बेच रहे होंगे, फिर तेल माफिया को नामजद क्यों नहीं किया गया। आखिर आपूर्ति विभाग की बेबसी की वजह क्या हो सकती है। कई दिन गुजर गए श्यामपुर पुलिस को भी तफ्तीश में तेजी लानी चाहिए थी, वहां छूट गए दोपहिया वाहन तेल के इस गोरखधंधे में शामिल किन किन लोगों के थे, इसका खुलासा अब तक हो जाना चाहिए था।
जब एक टैंकर चालक की गिरफ्तारी हो चुकी है, उसने जुबां खोली ही होगी कि वह चोरी कर तेल किसे बेच रहा था। पर आपूर्ति विभाग यह पता नहीं कर सका, यह एक तरह का भददा मजाक ही है। हर आमजन की जुबां पर यही सवाल है कि जब पूरे साक्ष्य मौके पर मिल चुके थे, तो तेल माफिया के गिरेबां तक सिस्टम के हाथ पहुंचते हुए क्यों कपकपा रहे हैं। श्यामपुर पुलिस भी कछुआ गति से अपनी विवेचना आगे बढ़ा रही है, आखिर तेल माफिया को कौन बचा रहा है।