सीढ़ी का कमाल, ससपेंड हुए प्यारे लाल, जेल में मेला सजाने वाले जेल अधीक्षक पर कब होगा एक्शन

K.D.

 रामलीला मंचन के दौरान रोशनाबाद जेल से दो कैदी फरार होने के मामले में जेल मुख्यालय ने शाम होते-होते छह कर्मचारियों काे निंलबित कर दिया, लेकिन जेल अधीक्षक मनोज आर्य की कोई जिम्मेदारी या जवाबदेही तय नहीं की गई। इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। भले ही अधीक्षक अवकाश पर थे, लेकिन ऐसा नहीं है कि कैदियों ने एक ही दिन में प्लानिंग की और उसी दिन फरार हो गए। 

प्रदेश की सबसे ज्यादा संवेदनशील जेल, जिसमें खूंखार अपराधियो को रखने के लिए हाइसिक्योरिटी बैरक का निर्माण चल रहा है, उसमें सुरक्षा को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई। कैदियों को दीवार पर चढ़ने के लिए सीढ़ी भी आसानी से मिल गई और लटक कर उतरने के लिए पानी का पाइप भी जेल के अंदर मिल गया। 

सीढ़ी, रस्सी, पाइप को हथियार बनाकर कैदी फरार हो सकते हैं या एक दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। इसलिए जेल अधीक्षक की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि जेल महकमा खुद मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी के अधीन है। बरहाल, फिलहाल जेल मुख्यालय ने प्यारे लाल आर्य, प्रभारी अधीक्षक व कारापाल, कुवंर पाल सिंह, उप कारापाल सर्किल जेलर व चक्राधिकारी,  प्रेमशंकर यादव, दिन हैड वार्डर, विजय पाल सिंह, हैड वार्डर-प्रभारी गिर्दा हेड, ओमपाल सिंह, बंदीरक्षक प्रभारी निर्माण स्थल और नीलेश कुमार हेड वार्डर-प्रभारी गेटकीपर को सस्पेंड किया है। मगर अधीक्षक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

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