
जनघोष-ब्यूरो
रुड़की: धर्मनगरी हरिद्वार में इंसानियत को झकझोर देने वाली बच्चा चोरी की वारदात का हरिद्वार पुलिस ने 72 घंटे में पर्दाफाश कर यह साबित कर दिया कि कानून के शिकंजे से कोई भी अपराधी बच नहीं सकता। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के नेतृत्व में कलियर पुलिस, एसओजी और सीआईयू की संयुक्त टीम ने तीन माह के मासूम बच्चे की सकुशल बरामदगी करते हुए छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
एसएसपी डोबाल ने बताया कि घटना बेहद संवेदनशील थी और बच्चे की सलामती पुलिस की पहली प्राथमिकता थी। तकनीकी व मानवीय सूझबूझ का इस्तेमाल करते हुए पुलिस ने इस “ब्लाइंड केस” की हर कड़ी जोड़ी। एसपी देहात शेखर सुयाल और सीओ नरेंद्र पंत की देखरेख में कलियर थानाध्यक्ष रविन्द्र कुमार की टीम ने मेरठ में छापेमारी कर पूरी चेन का भंडाफोड़ किया।

जांच में सामने आया कि आस मोहम्मद उर्फ लंगड़ा और उसकी पत्नी शहनाज ने बच्चे को चुराकर अपनी साथी सलमा की मदद से अंचन नामक महिला को तीन लाख रुपये में बेचा। अंचन ने आगे नेहा शर्मा को ₹3.90 लाख में सौदा किया, जिसने एक लाख का मुनाफा कमाते हुए बच्चे को ₹4.90 लाख में विशाल गुप्ता उर्फ अच्ची को बेच दिया।

पुलिस के अनुसार, विशाल गुप्ता की शादी को दस वर्ष बीत चुके थे, लेकिन संतान नहीं थी। मेरठ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मुलाकात नेहा शर्मा से हुई, जिसके बाद “संतान पाने की चाह” में इस घिनौनी साजिश को अंजाम दिया गया।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई के चलते सिर्फ 55 घंटे में मासूम सकुशल बरामद हुआ। जब बच्चे को उसकी मां की गोद में लौटाया गया, तो वहां मौजूद हर आंख नम हो उठी।
पुलिस ने ₹1 लाख नकद बरामद, ₹1 लाख की ऑनलाइन रकम फ्रीज, और पूरे गिरोह को सलाखों के पीछे पहुंचाया। कप्तान डोबाल ने आमजन से अपील की कि अजनबियों पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, वरना यह विश्वास किसी बड़ी त्रासदी में बदल सकता है।
