साहब बहादुर की गुगली से चित कोतवाल..! चुनमुन की तरह कोतवाल साहब ने खाई अजीबोगरीब सौगंध, दावा कर रहे उसी कोतवाली का फिर से लेंगे चार्ज, चेले बजा रहे ताली..

जनघोष-ब्यूरो:-
आपने अभी तक किसी बॉलीवुड फिल्म में पुलिस अफसर का किरदार अदा कर रहे नायक को किसी अपराधी के खात्मे की सौगंध खाते हुए जरूर देखा होगा लेकिन उत्तराखंड में बिलकुल इसकी उलट तस्वीर दिखाई दे रही है। एक कोतवाल साहब ने मौजूदा कोतवाली कैंपस में रात न गुजारने की सौगंध ली है।

दरअसल एक दूसरी कोतवाली के चार्ज के पीछे दौड़ लगा रहे फिल्मी कोतवाल की इस हठ को लेकर पुलिस महकमा भी आश्चर्यचकित है। कोतवाल साहब पिछले कई माह से क्षेत्र के एक होटल को अपना ठिकाना बनाए हैं। बताते है कि कई कई दिन तक कोतवाली की तरफ झांकते तक नहीं हैं।

पूरा मामला सूबे के एक बड़े जिले की कोतवाली में तैनात एक चर्चित कोतवाल साहब से जुड़ा है। कोतवाल साहब की पूरी नौकरी अब तक लगभग एक ही जिले में कटी है, लिहाजा अपने हिसाब से नौकरी करने की आदत सी पड़ गई हैं।

हुक्मरानों के बूते अब तक मजे में नौकरी कर रहे कोतवाल साहब को साहब बहादुर ने आइना दिखाते हुए उनकी पसंदीदा कोतवाली से ट्रांसफर कर डाला। बस फिर क्या था, कोतवाल साहब को यह बात नगवार लगी।

अपने चेलों से भरी सभा में ऐलान कर डाला कि उसी कोतवाली में फिर से तैनाती लेंगे, बकायदा दिन तारीख मुकर्रर कर दी। चेलों ने भी हुंकार भरी। गुरु के ऐलान की मुनादी पूरे जिले में कर दी। हर कोई दिन तारीख पर टकटकी लगाए बैठा रहा।

मसला रसूखदार कोतवाल से जुड़ा था, लिहाजा हर किसी को इल्म था कि कोतवाल साहब के ऐलान पर मुहर लगेगी। पर, अंत में पूरा दृश्य ही बदल गया। मन मनोस को कोतवाल साहब को नई जगह ज्वाइंन करना ही पड़ा। साहब बहादुर की गुगली पर बोल्ड हुए कोतवाल अब कोतवाली कैंपस में न रहकर अपनी खीज उतार रहे है।

चेलों को सुना रहे है कि कुर्सी उसी कोतवाली की कब्जानी है, पर दिन तारीख तय करने में घबरा रहे है। इधर, दबी जुबां में कोतवाल साहब के मजे ले रहे पुलिसकर्मी यह गाना गुनगुना रहे है कि बाप तो बाप रहेगा।

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